वन विभाग के वे अस्थायी कर्मचारी जो जंगल की रक्षा करते हैं, हाथियों को चारा खिलाते हैं और हाथियों की देखभाल करते हैं, लेकिन उन्हें अपना ही भविष्य अंधकारमय दिखाई दे रहा है। हालांकि वे वर्षों से इस काम में लगे हुए हैं, लेकिन उनके वेतन में एक रुपये की भी बढ़ोतरी नहीं हुई है, इस साल भी कई लोग पूजा बोनस से वंचित रह गए हैं। जान जोखिम में डालकर जंगल में दिन-रात काम करने वाले अस्थाई वनकर्मियों की स्थिति वर्षों से एक जैसी ही है। इसलिए जलदापाड़ा के अस्थाई वनकर्मी, महावत व पत्तावाला, मजदूर स्थायीकरण, वेतन में वृद्धि, बकाया भुगतान सहित कई मांगों को लेकर धरने प्रदर्शन कर रहे हैं।
अस्थाई वनकर्मियों ने कहा, हममें से कोई आठ साल से काम कर रहा है, कोई दस साल से, लेकिन हमारी तनख्वाह सात हजार रुपये ही है। महंगाई के इस दौर में मामूली सी तनख्वाह से परिवार चलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इसलिए उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर वन विभाग ने उनकी सभी मांगों को पूरा नहीं किया तो वे सभी अनिश्चितकालीन हड़ताल में शामिल होंगे। उन्होंने 27 तारीख के बाद जलदापारा में जंगल सफारी बंद करने की भी चेतावनी दी है।